रविवार, 19 सितंबर 2010

हो गया है प्यार

किस बात का है गम
जो जागते हो रात भर
 लेते हो नाम उसका
जिसे  देखा ही नहीं |

 नाम से .........
कल्पना के सागर में
गोते लगाना
सपनों को हकीकत में ढालना
प्यार जताना
एक पहेली |

 बूझो तो जानो
खुद को पहचानो
जंहा खड़े हो
वंहा से निकलते हैं
कई रास्ते
लग गया तुका
तो हो गए पार
वरना हो जायेंगे
सपने  तार- तार |

बात पर उसकी
थोडा सा करो एतवार
अब सो जावो
जागकर.....
सोचकर बताना
 हो गया है  प्यार |
  • Copyright © 2010 विजय मधुर

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