जो जागते हो रात भर
लेते हो नाम उसका
जिसे देखा ही नहीं |
नाम से .........
कल्पना के सागर में
गोते लगाना
सपनों को हकीकत में ढालना
प्यार जताना
एक पहेली |
बूझो तो जानो
खुद को पहचानो
जंहा खड़े हो
वंहा से निकलते हैं
कई रास्ते
लग गया तुका
तो हो गए पार
वरना हो जायेंगे
सपने तार- तार |
बात पर उसकी
थोडा सा करो एतवार
अब सो जावो
जागकर.....
सोचकर बताना
हो गया है प्यार |
- Copyright © 2010 विजय मधुर
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आभार