आज 14 अगस्त को मेरे पूज्य पिताजी स्वर्गीय श्री झब्बन लाल
विध्यावाचस्पति की पुण्य तिथि है... उनके सामाजिक योगदान को
कभी नहीं भुलाया जा सकता... जैसा की क्षेत्रवासियों के अनुसार
विगत 15 वर्षों में सामजिक क्षेत्र में खासकर चौन्दकोट में अभी तक
उनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई ...दूर एयर कंडीसन में बैठकर समस्याएं
कंहा तक और कितनी सुलझ पाती हैं .. यह मैं नहीं जानता. ????????????
उनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई ...दूर एयर कंडीसन में बैठकर समस्याएं
कंहा तक और कितनी सुलझ पाती हैं .. यह मैं नहीं जानता. ????????????
हम सभी की ओर से उस पुण्य आत्मा को शत शत नमन एवं श्रधांजलि .....
आसमान में
झिलमिलाते
सितारों के बीच
बिध्य्मान तुम्हे
देख सकता है वही
जिसने त्याग बलिदान
की बेदना हो सही...!
जीवन कर दिया हो समर्पित
माटी के नाम ...
पढ़ लिखकर भी
नहीं किया पलायन
अभावों से लड़कर
कुंठाओं से भिड़कर
बिराजमान किया
किया स्वयं को
सितारों के बीच...!
बस देख सकता है
तुम्हे वही....
माटी के नाम ...
पढ़ लिखकर भी
नहीं किया पलायन
अभावों से लड़कर
कुंठाओं से भिड़कर
बिराजमान किया
किया स्वयं को
सितारों के बीच...!
बस देख सकता है
तुम्हे वही....
जिसने त्याग ....
बलिदान...की
बेदना हो सही...!
बलिदान...की
बेदना हो सही...!
Copyright © 2011 विजय मधुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आभार