शनिवार, 14 सितंबर 2019

गीत : प्रेम राग

वही गीत गुनगुनाने का
मन करता है डरता है
तारीफ करूँ उसकी
समझता कोई और है
करीबी अपना यहाँ
अब लगता गैर है |
वही गीत गुनगुनाने का ......

जिन्दगी की सुबह
कब हुई याद नहीं
दोपहर में झुलसे हैं
शाम का पता नहीं |
वही गीत गुनगुनाने का ......

इसकी मंजिल
उसकी मंजिल
मंजिलों पर मंजिलें
मधुर लगती भली
तुम्हारी वही गली |
वही गीत गुनगुनाने का ......

गीत के वो बोल फिर से
याद तुम दिला दो
भूल माफ़ कर दो
प्रेम-राग में डूबने दो |
वही गीत गुनगुनाने का ......
 @१०/२०१७ विजय मधुर


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