रविवार, 11 सितंबर 2011

बिल्लों से छींका फूटा

पकड्म पकड़ाई
बिल्लों के भाग  से 
छींका फूटा
हो गयी मक्खन की
रेलम पेल
खाया
खिलाया
और ....
लगाया
फिर से
लगे खेलने खेल .......

अब हो गए
सारे चिकने
हाथ कोई न आया
चिकने फर्श पर
फिसल फिसल कर
अकड़ी हड्डियों को
आजमाया ....

चूहा भी आ गया 
अखाड़े में 
उसको भी
मक्खन भाया
बिल्लों को
चकनाचूर देख
उन पर ही
गुर्राया ....

एक कोने में
दुबकी बिल्ली
देख रही थी
यह सब खेल
मन ही मन
कह रही   थी
क्या  .....?
बिल्लियों में भी
 हो पायेगा मेल .......|
Copyright © 2011 विजय मधुर