आज एन बक्त पर बिजली गुल हो गयी | कंही एसा तो
नहीं कि बिजली सस्ती होने का खामियाजा भुगत रहें हैं एकाएक मन में ख्याल आया | नयी
सरकार जो बन गयी है | बिजली कंपनियों को
कौन बोले | उनके पास पावर है | अच्छा भला मैच चल रहा था | लेकिन पड़ोसियों के यंहा का
हल्ला कम नहीं हुआ उनके यंहा अभी भी मैच चल रहा है | इंडिया बैटिंग कर रही है | कंही ऐसा तो नहीं केवल हमारे घर की | दरवाजा
खोलते ही पड़ोसियों के दरवाजे के पास रखे इन्वर्टर की घर्ररर.....
की आवाज कानों में आते ही समझ गया | यह सब
इसकी कृपा है जिसकी मेहरबानी से पड़ोसी मैच का लुत्फ़ उठा रहे हैं और हम बिजली वालों
को कोस रहे हैं |
बचपन के वह दिन याद आ गए | जब पूरे बाज़ार में
सिर्फ डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर मौर्य साहब का इकलौता ब्लैक एंड वाइट टीवी हुआ
करता था | रविवार सुबह रामायण और शाम को फिल्म देखने के लिए सारे बाज़ार के लोग उनके
टीवी वाले कमरे में ठूंस – ठूंस कर भर जाया करते थे | जब कमरे में तिल रखने की जगह
नहीं बचती तो लोग दरवाजे और खिड़की पर खड़े हो कर टीवी देखते थे | बेचारे मौर्य साहब
के परिवार तक को हिलने – डुलने की जगह नहीं बचती थी | दर्शक तभी वंहा से हिलने का
नाम लेते जब या तो टीवी बंद हो जाता या बिजली गुल हो जाया करती थी | वंहा बिजली
गुल होने का मतलब लम्बे समय के लिये छुट्टी | दिन सप्ताह लग जाते थे विजली आने में
| यंहा कम से कम एसा तो नहीं | देर सबेर आ ही जायेगी | लेकिन यंहा एसा भी तो नहीं
कि पड़ोसी के यंहा जाकर थोड़ी देर मैच देख लिया जाए | क्या करें शौपिंग मॉल भी तो
दूर है नहीं तो वंही जाकर देख लिया जाता मैच | आज का मैच तो गया | अब हाईलाइट देख
कर काम चलाना पड़ेगा | मुश्किल से एक घंटे का टाइम तो बचा होगा मैच ख़त्म होने में |
बम पटाखे फोड़ने की उत्सुकता क्षीण पड़ गयी | मैच किसी और देश में चल रहा है तो क्या
हुआ, है तो पर्तिद्वंदी टीम के बीच | आज तो टीवी समाचार चैनलों की बल्ले – बल्ले हो
गयी | आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जवान की खबर हासिये पर रख कप्तान
... बल्लेबाजों ... और बोल्लरों की तारीफों के पुल बांधने से नहीं थकेंगे | और अगर
इंडिया हार गयी तो समझो सबकी खैर नहीं | लेकिन एसा होगा नहीं | बम पटाखे बेचारे
रखे – रखे ख़राब हो जायेंगे | किसकी मजाल जो जनता को बम – पटाखे फोड़ने से रोके |
प्रदूषण होता है तो होने दो | किसी का दम घुटता है तो घुटने तो | कोसने के लिए
सरकार तो है ही |
वेसे भी पिछले एक सप्ताह से टेलीविजन के सभी समाचार
चैनलों पर क्रिकेट की चर्चा चल रही है | बड़े – बड़े धुरंदर, पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ
पुराने आंकड़ों के अनुसार मैच के हार जीत का आकलन कर रहे हैं | सुना है सट्टेबाजी
का बाज़ार भी गरम है | कुछ क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल बताकर अपना पल्ला झाड़
रहे हैं | तो कुछ आंकड़ों के जोड़ तोड़ से इंडिया की जीत पक्की का दम भर रहे हैं | परिणाम
कुछ भी हो थोड़ी देर में पता चल ही जायेगा | पड़ोसियों के घर के जोरदार हल्ले से या
अचानक सन्नाटे से या उससे पहले बिजली आ गयी तो सोने पर सुहागा |
जनता का दबाव मैच ख़त्म होने से पन्द्रह बीस मिनट पहले सभी घरों से एक साथ आवाज आयी वाह ...... बिजली आ गयी ... बिजली आ
गयी | बिजली का इतना बड़ा स्वागत पहले कभी नहीं देखा | पत्नी भी गैस पर उबलते पानी
में चाय पत्ती चीनी डालने के पश्चात दूध डालने की हिमाकत नहीं करती | गैस बंद कर
दौड़ी – दौड़ी टीवी के पास आ पंहुचती है | मैच अपने निर्णायक दौर में आ पंहुचा था |
बची बोलों से लगभग दोगुने रन | शीर्ष बैट्समैन दर्शक दीर्घा से हठ कर बने केबिन
में बैठ नाखून चबा रहे होते हैं | दर्शक भी सांस रोके बैठे थे | न जाने अब क्या होगा | सन्नाटा पसरा था | सन्नाटे को तोड़ते हुए पत्नी बोली “सुनो फ्रिज के ऊपर से ज़रा मेरी बी.पी. की दवाई दे
दो .... पानी भी ले आना एक गिलास” | इतने में ही जोरदार छक्का लग गया | सभी घरों
से एक सुर में तालियों के साथ हल्ला .... छक्का ....| मैच के ऐसे नाजुक दौर में
छक्का लग जाय तो उत्साह बनता ही है | उसके बाद एक - एक दो - दो रन के साथ – साथ
चौकों और आख़िरी के बैट्समैनों के बदौलत भारत जीत गया | बम – पटाखों की आवाज से
आसमान गूँज उठा | लोग ढोल नगाड़ों के साथ सड़कों पर नाचने लगे | मिठाई बंटने लगी |
टीवी मुख्य स्क्रीन पर जीत के हीरों तो स्क्रीन के हासिये पर सैनिक की शहादत की खबर के साथ – साथ बड़े – बड़े नेताओं के बधाई संदेशों की लकीर चल रही थी | हाथ में पानी के गिलास और बी.पी. की गोली को पत्नी की ओर बढ़ाते हुए .. लो गोली खा लो | “इसे अब तुम ही खाओ ..... खुश तो होते नहीं कभी .... अब भी पता नहीं क्या चल रहा होगा दिमाग में ” | सोफे से उठते ही वह बोली और दरवाजा खोलकर बाहर
चली गयी |
@२०१६ विजय मधुर