शनिवार, 28 मार्च 2015

कविता : नकाब

नकाबों  का बाजार गर्म है
बिक रहें हैं खूब
फुटपाथों से लेकर
वातानकूलित
बड़ी – बड़ी दुकानों पर |

ग्राहकों को
कद काठी के अनुरूप
मिल रही है
होली दीवाली
हर मौसम में 
आकर्षक छूट |

कतार में हैं नामी
जैसी कमाई
वेसे विज्ञापन
पहनो नकाब - बनों नवाब  
छूट का लाभ उठाओ
पूरा कुनवा इसे भुनाओ
पीढ़ी दर पीढ़ी खूब चलाओ |

@२०१५ विजय मधुर

 

 

 

 

 

 

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