तश्वीर
देश की देख
उनकी आँखें
नम हैं
छवि जो
संजोई थी
बलिदान से पूर्व
उसका गम है ।
कैसे धर सकतें हैं ?
अपने ही भाई
ऐसा कुत्षित वेश
लूट - पाट ...
हत्या ....
अत्याचारों से
हुआ यह कैसा देश ।
बहुमूल्य रत्न
धन दौलत
कैद है
भूख ... बीमारी ....
मदद मांगते हाथ
अपनों के दंस से
आतंकित लोग
सातवें दशक में भी
यह कैसा भेद है !
शहीद मरते नहीं
रहते हैं सदा अमर
पूर्व ... पश्चिम ..
उत्तर .... दक्षिण ..
है सबको खबर
आजादी का अर्थ
मनमानी ...
लूट खसोट
छोटी मछली
बड़ी मछली नहीं
समय रहते खुद को
बदलो तो सही ।
@विजय मधुर
देश की देख
उनकी आँखें
नम हैं
छवि जो
संजोई थी
बलिदान से पूर्व
उसका गम है ।
कैसे धर सकतें हैं ?
अपने ही भाई
ऐसा कुत्षित वेश
लूट - पाट ...
हत्या ....
अत्याचारों से
हुआ यह कैसा देश ।
बहुमूल्य रत्न
धन दौलत
कैद है
भूख ... बीमारी ....
मदद मांगते हाथ
अपनों के दंस से
आतंकित लोग
सातवें दशक में भी
यह कैसा भेद है !
शहीद मरते नहीं
रहते हैं सदा अमर
पूर्व ... पश्चिम ..
उत्तर .... दक्षिण ..
है सबको खबर
आजादी का अर्थ
मनमानी ...
लूट खसोट
छोटी मछली
बड़ी मछली नहीं
समय रहते खुद को
बदलो तो सही ।
@विजय मधुर
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