बुधवार, 30 नवंबर 2011

चुनावी दंगल

गांवो में जंगल
शहरों में मंगल
आ गया सर पर चुनाव
शुरू हो गया दंगल !

गढ़े मुर्दे उखाड़ो
नयी शिलापटों का
शिलान्यास
पुरानी उखाड़ो !

साल दर साल
उखाड़ी सड़कें
कभी पेयजल
तो कभी
किसी और नाम पर
अब जागे  ....बजीर
प्यादों पर भड़के !

भ्रष्टाचारी  दानव
निगल गए
मानव के मानव
जिनके न थे आका
फँस गए ........
बाकी सब
पाक दामन !

बेरोजगारों को
आश्वासन
नौकरसाहों  को
प्रलोभन
बड़ा सुकून
चलो...... टल गए
सारे आन्दोलन !

पासों का जमाना गया
शतरंज है विशाल
हाथी ... घोड़े .....
ऊँट ..... बजीर ....
से पहले ....
 है प्यादों की चाल !




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आभार