पकड्म पकड़ाई
बिल्लों के भाग से
छींका फूटा
हो गयी मक्खन की
रेलम पेल
खाया
खिलाया
और ....
लगाया
फिर से
लगे खेलने खेल .......
लगे खेलने खेल .......
अब हो गए
सारे चिकने
हाथ कोई न आया
चिकने फर्श पर
फिसल फिसल कर
अकड़ी हड्डियों को
आजमाया ....
चूहा भी आ गया
अखाड़े में
अखाड़े में
उसको भी
मक्खन भाया
बिल्लों को
चकनाचूर देख
उन पर ही
गुर्राया ....
एक कोने में
दुबकी बिल्ली
देख रही थी
यह सब खेल
मन ही मन
कह रही थी
क्या .....?
बिल्लियों में भी
बिल्लियों में भी
हो पायेगा मेल .......|
Copyright © 2011 विजय मधुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आभार