सूरज को अगर
बादल
ढक भी दे
तो क्या हुआ
कब तक
रोक पाएंगे वह
उसकी किरणों को
धरती में आने से |
समझते हैं
बादल भी
उसके बिना
कँहा है उनका
अस्तित्व |
कुछ समयांतराल में
धूल ......
मिट्टी ...
धुंद .....
को हटाकर
कर देती हैं
किरणों का
मार्ग प्रसस्त |
अब किरणे
और भी
प्रखर हो
घास ...
पत्तियों ...
कलियों ...
फूलों ..... पर
अटकी
बारिश के बूंदों पर
चमक उठती हैं |
तितलियाँ
अठखेली करती
भँवरे
गुनगुनाने
लगते हैं |
सूरज
जानता है
जेसे होता है
रात और
दिन का मेल ...
वेसे ही
होता है
बादलों और
किरणों की
लुका छुपी का
यह अदभुत खेल |
Copyright © 2011 विजय मधुर
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