रविवार, 20 फ़रवरी 2011

वेलेंटाइन डे

कहानी
         तीन दिनों से लगातार बारिश होने के कारण ठण्ड अधिक बढ़ गयी थी | सूमा ने जो गरम कपडे आलमारी में संभाल कर रख दिए थे | फिर से बाहर निकाल दिए | आँगन में दो छोटी छोटी गौरेया चहल कदमी कर रही थी | कभी घोसले  के पास से तो कभी बरामदे के आस पास बने झरोखों से आती बारिश में ही कुछ ढूँढने का प्रयाश करती , भीग कर वापस चली जाती | बाकी सभी चिड़िया चुपचाप बारिश की बूंदों को निहारती , जसे मन ही मन  सोच रही हों कितनी जल्दी ये बारिश रुकती और हम चले जाते दाना चुघने | वेसे भी दो  दिनों से कुछ ठीक से खाया भी नहीं | संजीव खिड़की से सटे दीवान पर कम्बल ओढ़े यह सब ध्यान से देख रहा था |संजीव की पत्नी सूमा किचन में कटर पटर कर दिन के भोजन की तैयारी कर रही थी |किचन से ही आवाज आती है अब उठ भी जावो ....इतने बूढ़े भी नहीं हुए हो अभी | पड़ोस के बर्मा जी से कुछ सीखो | इतनी बारिश में भी सुबह सुबह घूम कर आ गए   | हाँ हाँ सब सुन लिया मैंने | उस कमबख्त का तो काम ही क्या है | दिन भर इधर उधर घूमता रहता है | जल्दी सो जाता है | उलुओं की तरह रात को चार बजे उठ जाता है | बेचारी कितनी भली हैं वो भाभी जी | परेशान कर के रखा है उनको | सूमा हाँ..... मेरे अलावा तो सभी भली हैं...| अब बर्तन खनखनाने की आवाज तेज हो जाती है |उधर आँगन में दोनों गोरेय्यों का वही शिलशिला जारी रहता है|परन्तु हर बार में उनकी नजदीकियां बढ़ रही थी | वे दोंनो युवा नर मादा थे  | पिछले कई बर्षों से संजीव देखता आ रहा था |एक निश्चित समयांतराल के  बाद गोरेय्यों का एक जोड़ा बरामदे  की छत पर बने पंखे के के हुक के पास अपना घोसला बनाते  आ रहे  हैं | मादा उसमे अंडे देती | कई बार तो उससे अंडे नीचे फर्श पर भी गिर जाते | इसलिए हुक निकाल कर उस जगह पर लगी पती को आगे खिसका दिया था | तभी से उसको उनके बारे में ज्यादा जानकारी मिली | नर का रंग कुछ कुछ लाल होता है तथा मादा का हल्का भूरा | वेसे ही युवाओं में थोड़ा फुर्ती जयादा तथा छरछरे होते हैं | मादा उस घोसले में अंडे देती | अन्डो से बच्चे निकलते | जैसे ही बच्चों के पर निकलते वे फुर से उड़ जाते | रह जाते वे दोनों बेचारे और एक दिन वह भी उढ़ जाते | अब अगली बार वही वापस आते या कोई और इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है | संजीव तो कहता वही वापस आते हैं | जबकि सूमा कहती कोई और ....|  अब सूमा भी दीवान के पास रिमोट ले कर आ गयी  | लेकिन संजीव आँगन में हो  रही चहलकदमी में इतना खो गया था क़ि उसे पता ही नहीं चला सूमा वंहा आ कर बैठ गयी  | क्या देख रहे हो ........| आज तक इनको देखा नहीं | लेकिन सूमा की बात जैसे  उसे सुनाई ही न दी हो | इसी दौरान फिर से तर ब तर भीगे दोनों गोरेया आते हैं | आपस में जैसे कुछ बतियाते हैं और फुर्र से कंही दूर उढ़ जाते हैं | गुस्से में सूमा टेलीविजन ऑन कर देती है | जिसमे सुर्खिंयों में था | आज दुनिया भर में वेलेंटाइन डे की धूम | 
Copyright © 2011 विजय मधुर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आभार