शुक्रवार, 22 मई 2020

कविता:विडंबना


मजदूर नहीं
मजबूर हैं
शतरंज की
बिसात के
पिटते
प्यादे हैं
हार-जीत
किसी की
भी हो  
क्या फ़र्क
पड़ता है
राजा तो
राजा ही
होता है
सजा का
हकदार
तो केवल
मजबूर
होता है |
@2020 विजय मधुर
नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का एक दृश्य

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