रविवार, 10 मई 2020

कोरोना काल

१ मई १८८६ को मजदूर दिवस का आरम्भ अमेरिका से कार्य करने के आठ घंटे निर्धारित करने को लेकर हुआ था |  इस आन्दोलन में कुछ मजदूरों ने जानें गंवाई और बलिदान स्वरूप अमेरिका में मजदूरों के कार्य करने के आठ घंटे निर्धारित किये गए |  भारत में इसकी शुरुआत १ मई १८२३ में चेन्नई से आरम्भ हुई | तब से हर वर्ष संपूर्ण विश्व के साथ पूरे भारत में मजदूर दिवस मनाया जाता है | 

इस बार मजदूरों के साथ-साथ मजदूर दिवस कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गया | असंगठित क्षेत्र के मजदूर कोरोना की गिरफ्त में ऐसे फंस गए हैं  जैसे किसी अजगर की चपेट में उसका शिकार |  मजदूर  वह धुरी है जिस पर  देश का जनजीवन और अर्थव्वस्था सुचारू रूप से चलती है | धुरी चरमरा गयी कमजोर पड़ गयी है |  फिर से अपने स्थान पर आने कार्य करने में समय कितना लगेगा प्रश्न समय के गर्त में है | 

मजदूर

जिनके बूते 
महामारी के 
इस दौर में 
घरों में अपने 
सुरक्षित हैं 
आप हम 
वह बेचारे 
भूखे प्यासे 
भटक रहे हैं 
दर ब दर 
तोड़ रहे हैं 
राह में दम |
१ मई 2020 

मनुष्य जाति अपने से ज्यादा दिमागदार किसी को नहीं समझती | देखने में कोआ एक पक्षी है | खिड़की से देख रहा हूँ कि उनके घोसले में अभी कोई हलचल नहीं | कौवी बीच - बीच में उड़ कर जाती है तो कोआ घोसले की चोकिदारी  करता है | कौवी के वापस लौटने पर ही कहीं जाता है | जनबरी माह से उनके घोसला बनाने की प्रक्रिया को देख रहा हूँ | इससे पहले स्थान चुनने में भी उन्हें समय लगा होगा | योजनावद्ध कार्य शैली क्या होती है इन पक्षियों से सीखने की जरुरत है | भले ही पक्षियों की जमात में इनका स्थान खास नहीं | फिर भी पितृ पूजा के दिन उन्हें भोग लगाने के लिए बेसबरी से ढूँढा जाता है |


आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस है | एक मां की साधना का प्रत्यक्ष उदाहरण है नारियल के पेड़ पर कोवी का घोसला | आये दिन तेज़ आंधी और बौछारे चलती है लेकिन वह अपने कर्तब्य से तनिक भी बिमुख नहीं होती | डटी रहती है अपना घोसला बचाने में | कल उसमें अंडे देगी .... उन अण्डों से छोटे-छोटे बच्चे निकलेगें .... अपनी चोंच पर उनके लिए चुनिन्दा दाना लायेगी ... उन्हें पाल पोस कर बढ़ा करेगी .... और जैसे ही उन बच्चों के पर निकल जायेगें ....... उड़ कर कहीं दूर चले जायेगें ..... बचे रह जायेगें डाल पर कोआ और कौवी |  यही सृष्टि का नियम भी है |

आत्मविश्वास 
दूर ही सही 

हर पल मेरे 
रहती हो पास 
हार जाता हूँ 
जब जग से 
देती असीस
बंधती आस |

 पशु - पक्षी और मनुष्य जाति में फर्क | मनुष्य जाति में मानवता .... दया धर्म .... पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास  होना ही चाहिए | बुद्धि विवेक और समय पर लिया गया निर्णय इंसान को महानता की ओर ले जाता है ||आडम्बर और दिखावे से नहीं |



@2020 विजय मधुर 



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आभार