कोहरा
बड़े शहर की गर्मी और शर्दी दोनों
ही उसके जैसी बड़ी और परेशान कर देने वाली होती हैं | जैसे
गर्मी में , गंदगी ... गन्दगी में उपजे कीड़े मकोड़े , मच्छर, देशी-विदेशी बीमारियों
का बीभत्स रूप देखने को मिलता है वेसे ही शर्दी का भी रूप कुछ कम नहीं होता |
कड़ाके की ठण्ड .. सुबह शाम घनघोर कोहरा | सूरज
देव की स्वर्णिम किरणे जो प्रातःकाल लालायित रहती हैं
धरती माँ के श्पर्श के लिए | वह भी खुद को कोहरे के
प्रकोप से बचा नहीं पाती | सूरज की किरणे जो अब हिमालय के
बिशाल ग्लेशियरों को पिघलाने लगी हैं | पहाडों जंगलों में आग सुलगा देती है | छोटे – बड़े संयत्रों, दूर
दराज कंदराओं में ऊर्जादायी रोशनीदायी सिद्ध होती है | वही किरणे कोहरे की घनी चादर या यूं कहें मोटी खाल के आगे बेबस सी
नजर आती है | इतनी मोटी खाल शायद ही कंही और जगह के कोहरे की
होगी | कोहरे की मोटी खाल का असर यंहा कुछ खास इंसानों पर भी कम नहीं | हर मौसम में इसे लपेट
मरते दम तक कुर्सी से चिपका रहना चाहते हैं |
अपने आप को सूरज की किरणों से दूर ही रखना चाहते हैं | सोचते हैं कोहरे में भला उनकी कथनी और करनी का कौन आकलन करने वाला है | आड़ में यंहा की परेशानियां
- गर्मी ... शर्दी .. वर्षात
.... भीड़ .... बिजली ... पानी ... हवा ... सड़क ....सरकारी दफ्तरों
की लाईन..... अस्पतालों की लाईन ..... ट्रेन और लोकल बसों में मारा मारी
....चोरी ...लूट ...हत्या .... मनमानी .... कूड़ा-करकट ....धक्का-मुक्की ....
गाली–गलोज ....नाना प्रकार के प्रदूषण ... भांति भांति के
आरोप-प्रत्यारोप | सभी कोहरे की चपेट में हैं |
अब यह कोहरा कब छंटेगा नहीं मालूम |
@२/२०१६ विजय मधुर
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आभार