
बसंत आया
तरुओं ने ली अंगड़ाई
फूलों से लकदक डालियों में
देखो कैसे बहार है आयी ।
खुशियों संग गुलाल के
छाये हैं नभ में मेघ
ढोलक की थाप में नाचें सभी
एक दूजे को देख ।
पकवानों की थाल में
गुजिया का क्या कहना
रंग बिरंगे परिधानों में
गुलाल बना है गहना ।
मस्ती भरा दिन है
बरसे रंगों की बौछार
मनाएं सब रंज भूलकर
होली का पावन त्यौहार ।
@२०१३ विजय मधुर
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