कविता : सफर
उसकी .....
आँखों में देखा
कैसे बूँद बूँद
जलधाराओं से
होती हुई
मिल जाती है
सागर में ।
मृदु जल
परिवर्तित हो जाता है
खारे में ।
और फिर
वही अश्रु बन
जब छलकते हैं
बयां करते हैं
बिछोह की
लम्बी कहानी
तो समझ आ गया
क्या होती है
बचपन और बुढ़ापे
के मध्य .....
पिसती जवानी ।
@2013 विजय मधुर
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