शहर के मध्य
एक पुरानी सी हवेली
मोटी घुमावदार दीवारें
उन पर जगह जगह
उगे पीपल के पेड़
बढ़ा सा आँगन
मध्य में
तुलसी का चबूतरा
साक्षात् नमूना
शहर के इतिहास का !
कई बार देखा
दो जर्र जर्र
कायाओं को
आँगन में टहलते !
एक दिन देखेते न बना
सोचा जान लूं
उस शहर के बारे में
जिसे देख रहा हूँ
पिछले तीस बरसों से
खुद भी गिरगिट की तरह
रंग बदलते .... !
ज्योंही दाखिल हुआ
आँगन में .....
बूढा
मेरी ओर....
दोड़ने का
का प्रयास करता
जोर से
झल्लाया ...
चिल्लाया....
मुझे नहीं बेचनी
ये हवेली .....
नहीं बनाना
शौपिंग माल ...
बढ़ा सा होटल....
फ्लेट...व्लेट..
या कुछ और.... !
इसमें बनेंगी तो
सिर्फ दो कव्रें
उन्हें उखाड़
बना लेना
जो मन चाहे
भागो यंहा से
वरना ....... !
मै जैसे ही
मुढ़ा वापस
सामने नजर आयी
एक आकर्षक
छोटी सी इमारत
जिस पर लिखा था
बार एंड रेस्टोरेंट !
विजय कुमार 'मधुर'
एक पुरानी सी हवेली
मोटी घुमावदार दीवारें
उन पर जगह जगह
उगे पीपल के पेड़
बढ़ा सा आँगन
मध्य में
तुलसी का चबूतरा
साक्षात् नमूना
शहर के इतिहास का !
कई बार देखा
दो जर्र जर्र
कायाओं को
आँगन में टहलते !
एक दिन देखेते न बना
सोचा जान लूं
उस शहर के बारे में
जिसे देख रहा हूँ
पिछले तीस बरसों से
खुद भी गिरगिट की तरह
रंग बदलते .... !
ज्योंही दाखिल हुआ
आँगन में .....
बूढा
मेरी ओर....
दोड़ने का
का प्रयास करता
जोर से
झल्लाया ...
चिल्लाया....
मुझे नहीं बेचनी
ये हवेली .....
नहीं बनाना
शौपिंग माल ...
बढ़ा सा होटल....
फ्लेट...व्लेट..
या कुछ और.... !
इसमें बनेंगी तो
सिर्फ दो कव्रें
उन्हें उखाड़
बना लेना
जो मन चाहे
भागो यंहा से
वरना ....... !
मै जैसे ही
मुढ़ा वापस
सामने नजर आयी
एक आकर्षक
छोटी सी इमारत
जिस पर लिखा था
बार एंड रेस्टोरेंट !
विजय कुमार 'मधुर'
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