खेल का मौसम
आया है भाई
आवो खेलें
पकड़म पकडाई |
एक ही थाली के
चटे बटे हम
चाहे हों ........
किसी भी पाले में
छुप सकते हैं बिल्डिंग के
किसी भी माले में |
पूरे खेल का होगा
लाइव टेलीकास्ट
दुखड़ा अपना भूल
देखेंगे लोग
आंखे फाड़ फाड़ |
कौन जीता
कौन हारा
किसने किसको मारा
सोचना काम नहीं हमारा |
रणनीति के लिए
बीच बीच में
जो आयेंगे ब्रेक
उसमे हो सकते हैं
फिर से एक |
खेल का मौसम
आया है भाई
आवो खेलें खेल
पकड़म पकडाई |
Copyright © 2010 विजय मधुर
अच्छी रचना|
जवाब देंहटाएंनववर्ष स्वजनों सहित मंगलमय हो आपको । सादर - आशुतोष मिश्र
जवाब देंहटाएं