मंगलवार, 16 जनवरी 2018

तीन कविताएँ

१. हैप्पी न्यू ईयर

न्यू ईयर की पार्टी 
इसने कहा उसने कहा
उसने कहा उसने कहा
करेंगे धमाल
धमाल धमाल धमाल।

बांहो में बाहें डालकर
आंखों में आंखे डालकर
आर्केस्ट्रा के फ्लोर पर
नाचेंगे सारी रात
करेंगे धमाल
धमाल धमाल धमाल।

इसकी यादें उसकी कस्में
कहां बिसरे हम
फिर यारो
किस बात का गम
आओ करें धमाल
धमाल धमाल धमाल।

लाइफ को नया मोड़ दो
नशा वशा छोड़ दो
बीती बातों का
कैसा मजाल
आओ करें धमाल
धमाल धमाल धमाल।
@ २०१८ विजय मधुर


                                         २. साया 


साया 

निभाता है साथ
कभी आगे कभी पीछे 
कभी दाएं कभी बाएं
बेजुबान फिर भी
कह देता सब कुछ
ना ही खाता कस्में
ना ही करता ढोंग 
बफादारी का ।
@२०१८ विजय मधुर






३. कहने वाले

कोशिश की है
बदलने की
पहाड़ की चोटी से 
सूरज को छूने की
उससे सवाल पूछने की
कि क्या तुम वही हो
जिसका ताप बना देता
शीतल जल को भाप
खारे को नमक
पिघला देता पुराने
चट्टान बने हिम खंड
क्या तुम्हारा ताप
नहीं पंहुच पाता है
अत्याचारियों
व्यभिचारियों
ढोंगी पाखंडियों
गद्दारों तक
जो स्वार्थ परक आये दिन
कर रहें हैं सौदा
लगा रहें हैं बोलियां
देश के अरमानों की
तुम मौन
अब मैं कौन
खींच लेता हूँ
हाथ पीछे
जल भी जाता
तो क्या हुआ
है तो नकली
कहने वालों की
कमी नहीं।

@२०१८ विजय मधुर


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