छलकने दो आंसू
मत रोको
करने दो मनमानी उसे
मत कोसो
मत रोको
करने दो मनमानी उसे
मत कोसो
कौन कहता है ये
अपनों ने दिए हैं घाव
मिल ही जायेगी
तपती दुपहरी में
किसी पेड़ की छांव
अपनों ने दिए हैं घाव
मिल ही जायेगी
तपती दुपहरी में
किसी पेड़ की छांव
छलकने दो आंसू
............
किश्मत, अपना-पराया
एक फेर है
यह जँहामाटी का ढेर है
पनपते इसी में
सारे जीवी-परजीवी
पेड़-पौधे, बनस्पति
कभी तो आयेगी
उसे सुमति
एक फेर है
यह जँहामाटी का ढेर है
पनपते इसी में
सारे जीवी-परजीवी
पेड़-पौधे, बनस्पति
कभी तो आयेगी
उसे सुमति
छलकने दो आंसू.........
नदी-नाले उफनते हैं
ख़ास मौसम में
सागर की लहरें
पार कर देतीं हैं हद
सीमा निर्धारित है सबकी
क्षणिक है कद और मद |
छलकने दो आंसू ........
@२०१७ विजय मधुर
ख़ास मौसम में
सागर की लहरें
पार कर देतीं हैं हद
सीमा निर्धारित है सबकी
क्षणिक है कद और मद |
छलकने दो आंसू ........
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