रविवार, 19 मार्च 2017

कविता : ब्लड ग्रुप

रहने दो अब 
नहीं करनी बहस 
घर देखा 
गाँव देखा 
शहर देखा 
प्रदेश देखा 
देश देखा 
दुनिया देखी 
नहीं कुछ बदलने वाला 
कहता हूँ उससे 
बना ले एक नया ग्रुप 
लहू का 
ए, बी, ओ के संग पी.
पी यानी पॉलिटिक्स | 
@ २०१७ विजय मधुर

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