
जीवन
एक पेड़ है
देता फूल-फल जब तक
सबका रहता चहेता
पंछी टहनी-टहनी
कूदते फांदते
करते कलरव
गाते गीत
तितलियाँ मंडरातीd
भंवरे गुनगुनाते |
होता प्रफुल्लित
पा कर स्पर्श
स्वर्णिम किरणों
चमचमाती पतियों
मुस्कराती कोंपलों
बतियाती कलियों का |
उम्र ढलते ही
खटकने लगता
आँखों में सबके
दूर होने लगते
सारे संगी अपने |
जबकि होता है
सक्षम तब भी
बचाने में
वातावरण
घर-आँगन
खेत-खलिहान
नन्हे पोधों
अलहड़ पेड़ों को
आंधी-तूफान
तेज बारिश
लू के थपेड़ों
दम घोटते कोहरे
शर्दी के प्रकोप
नित बढ़ते पनपते
जहरीले कीड़ों से
फिर भी जीते जी
मरना पड़ता है |
@२०१८ विजय मधुर