बुधवार, 26 अक्तूबर 2011
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011
केदारनाथ
समस्त विश्व में देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड के तीर्थ स्थानों का पुण्य प्राप्त करना हरेक मनुष्य का एक सपना होता है | यूं तो देवभूमि के बर्तमान तेरह जनपद -देहरादून ...हरिद्वार .......चमोली ...........रुद्रप्रयाग...............टिहरी गढ़वाल ...उत्तरकाशी ....पौड़ी गढ़वाल ...अल्मोड़ा ....नैनीताल ....पिथोरागढ़ ....उधमसिंह नगर .....
बागेश्वर ....चम्पावत .... का अपना अपना धार्मिक एवं एतिहासिक महत्व है | एतिहासिक महत्व से एक बात याद आयी बीस साल पहले किसी काम से लखनऊ जाना हुआ वंहा काफी एतिहासिक स्थानों के भ्रमण के बाद सुना वंहा की चिकन की साडी प्रसिद्ध है | सोचा मैं भी क्यों न पत्नी के लिए एक साडी ले लूं .. मैं एक अच्छी सी दूकान में गया ... दूकान में एक लड़का मुझे साड़ियों की विशेषता के साथ साड़ियाँ दिखाने लगा ... इतने में ...दूकान के मालिक जो कुछ कुछ बुजुर्ग थे मुझसे पूछ बैठे बेटा तुम कंहा से आये हो ... ? हरेक जगह की बोली का लहजा बोलचाल में आ ही जाता है .. जिसे शायद वे बुजुर्ग अपने तजुर्वे से भांप गए थे ... मैंने कहा देहरादून से ... देहरादून का नाम सुनते ही वे अपनी गद्दी से उठ बैठे ... नौकर को एक तरफ हटने को बोल अपने आप ही कुछ साड़ियाँ मेरे आगे रख दी ...बस आप इनमे रंग पसंद कर लो ...लेकिन वेकिन कुछ नहीं ... खैर मैंने हल्का गुलाबी रंग पसंद कर लिया .... पर आखिर कितने की है ...मेरा बजट भी तो होना चाहिए ? ...... बेटा तुम बस एसे ही ले जाओ .... .नहीं . नहीं आप पहले पैसे... .. तुम एसा करो सौ पचास जो भी तुम्हारे पास हैं दे दो ...मैंने वेसे ही सर हिलाया सभी एसे ही बोलते हैं ..... | क्योकि साडी मुझे महंगी लग रही थी इतने में तो नहीं नहीं ..| एक बार मन हुआ सौ रूपये देकर देखता हूँ | लेकिन मन नहीं माना | नहीं अंकल आप सही सही पैसे बताओ .... बेटा रोजी कसम मैं सही बता रहा हूँ .... जो तुम्हारा मन करे वो दे दो .... | मैं बढे अचम्भे में पड़ गया | रोजी की कसम कोई एसे ही नहीं खाता | अंकल आखिर पहले ये बताओ कि आप मुझे इतने कम में ...... | तुम देहरादून से आये हो न ....वंही हरिद्वार के पास से ...... | हाँ पर ..... पर वर कुछ नहीं.....| उन्होंने साडी पैक कर मेरे हाथ यह कहकर थमा दी कि तुम भी मेरे लिए भगवान् से कम नहीं ...हरिद्वार से आये हो | अब मै बड़े धर्म संकट में फँस गया | वो तो अछा हुआ उस दूकान से पहले मै बाहर सड़क पर दो एक जगह साडी के दाम पूछ चुका था | मतलब दाम का थोडा बहुत अंदाज़ा हो गया था | मैंने पांच सौ रूपये उनके गल्ले के पास रख चला गया | आज बीस साल बाद भी उस साडी में ज्यादा फर्क नहीं आया | हाँ तो मै बात कर रहा था तीर्थ स्थलों की |
देवभूमि के प्रमुख तीर्थ स्थलों में केदारनाथ भगवान् शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है | उत्तराखंड राज्य के जनपद रूद्र प्रयाग में स्तिथ केदार नाथ के लिए गौरी कुंड से चोदह किलोमीटर की पैदल यात्रा है | गौरी कुंड में गौरी देवी का मंदिर है | कहते है इसी स्थान पर बैठ माँ पार्वती ने भगवान् शिव का ध्यान किया | गौरी कुंड में स्नान के बाद श्रद्धालु भगवन शिव के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं | केदार नाथ मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा हजारों वर्ष पूर्व किया गया | कहते हैं पश्चाताप से पीड़ित पांडव भी कुरुछेत्र में कौरवों पर विजय प्राप्त करने के बाद शिव अराधना के लिए केदार नाथ आये | क्योंकि उन्हें अपने ही भाई बांधवों को मारने का बहुत बढ़ा आघात पंहुचा था | यंहा पर केदार नाथ मंदिर के साथ शंकराचार्य समाधि ..... भैरव मंदिर .... गांधी सरोवर भी दर्शनीय है |
Copyright © 2011 विजय मधुर
रविवार, 2 अक्तूबर 2011
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