जमीन पर हताश बैठे कोवे को देख नौजवान कौआ बाल खड़े ... दोनों पर ढीले अजीव सी चाल में आगे बढ़ा। सभी उसको देख एक साथ हंस पड़े। क्या हुलिया है ? आजकल के बच्चे ! इन्हें क्या लेना देना हमारी परेशानियों से | घरों के आस - पास तो ये नजर भी नहीं आते | क्या कहते हैं उन्हें डोमिनो .... पिज़्ज़ा ... चाइनीज फ़ास्ट फूड ... मोमो ... और भी न जाने क्या - क्या .. के आस - पास ही मंडराते हैं | और वो भी रात के समय | कितना समझाओ इन्हें | लेकिन इनके आगे किसकी चली | ठीक से तो चलाना आता नहीं ! ये भरेगा घड़ा | और पानी पिएगा | दूसरी छोर से एक बोला खुद ही नहीं हम सबको पिलाएगा | ऊंचे टावर में पहली बार जोर का ठह्हाका गूंजा |
नौजवान ने इधर उधर नजर दौडाई | कुछ ही दूरी पर उसे एक कागज़ नजर आया और वह उसे उठा लाया | इससे पानी पिएगा.... हा....हा.......... । जरा दिखा तो दो.... क्या नुस्खा लिखा है इसमें । उसने सबको कागज़ दिखाया। जिस पर लिखा था एक दिन में कंप्यूटर सीखें । हा... हा....हम और कंप्यूटर। आजा बेटा ! इधर आजा ! तेरे बस का कुछ नहीं ।
नौजवान ने गर्दन झटकी पानी का जायजा लिया और नीचे झुककर पानी के पास जोर से चोंच मारनी शुरू कर दी । चंद मिनटों में ही पानी हाशिल । खूब पानी पिया वह भी सबको दिखा दिखाकर । और फिर कागज की गोली बनाकर छोटे से छेद में ठूंस शान से खडा हो गया। सबकी आँखें फटी की फटी रह गयी ।
अचानक सभी को टावर में दबे क़दमों की आहट सुनाई दी | भागो.....भागो..... बिल्ली .... । सेमिनार अधूरा छोड़ कोवे अलग अलग दिशाओं में उड़ गए । दरअसल जिस टावर पर सेमीनार चल रहा था उस पर मालिक की ज्यादतियों से तंग आकर अपने हक़ के लिए एक बिल्ली चढ़ गयी।
waah !
जवाब देंहटाएंachha laga ...........
badhaai !
बहुत सुन्दर ओर सटीक आलेख
जवाब देंहटाएंgoodand beautiful blog,badhiya shuruaat hai /hardik swagataapka
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
आपका,लेख की दुनिया में हार्दिक स्वागत
जवाब देंहटाएंमै सह्रदय सभी पाठकों व शुभचिंतको का आभार प्रकट करता हूँ साथ ही आपके सुझाव मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं|
जवाब देंहटाएंविजय मधुर
इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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